विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 2025 (World Nature Conservation Day 2025) का आगाज़ इस बार इस संदेश के साथ होता है कि हमारी धरती को बचाने का पहला कदम ही प्लास्टिक मुक्त होना है। जब हम प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों और पैकेजिंग से मुक्ति की बात करते हैं, तो दरअसल हम हवा, पानी और मिट्टी में फैले जहर को रोकने की पहल कर रहे हैं।
इस दिन हर व्यक्ति, समुदाय और संस्था को याद दिलाया जाता है कि छोटे‑छोटे बदलाव—जैसे पुन:प्रयुक्त बैग का उपयोग, कांच या स्टील की बोतलें अपनाना, और प्लास्टिक बंद करना—व्यापक परिवर्तन की नींव रखते हैं। प्लास्टिक मुक्त विकल्प चुनकर हम न सिर्फ जलवायु संकट को टाल सकते हैं, बल्कि जैव विविधता की रक्षा कर एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य भी सुनिश्चित कर सकते हैं। आइए इस विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 2025 पर मिलकर “#Beat Plastic Pollution” के संकल्प से एक नई शुरुआत करें।
28 जुलाई का महत्व | Importance of World Nature Conservation Day
हर साल 28 जुलाई की तारीख हमें एक ऐसे मूलभूत सत्य की याद दिलाती है जो अक्सर शहरी चकाचौंध में धुंधला पड़ जाता है—हमारी साँसों का हर एक अणु, हमारे भोजन का हर एक कण, यहाँ तक कि हमारे सपनों की निरंतरता भी धरती के स्वस्थ पर्यावरण पर निर्भर है। औद्योगिकीकरण की रफ्तार, उपभोग‑प्रधान संस्कृति और बढ़ती आबादी की माँग ने प्रकृति पर अभूतपूर्व दबाव डाला है। वन क्षेत्र सिमट रहे हैं, नदियाँ नाले बनती जा रही हैं, जलवायु आपातकाल चरम मौसम की घटनाओं को रोजमर्रा का हिस्सा बना रहा है।
ऐसे दौर में World Nature Conservation Day महज़ एक स्मरण‑दिवस नहीं, बल्कि एक वैश्विक आंदोलन है—एक खुला निमंत्रण कि हम सब मिलकर अपनी जीवन‑शैली का पुनर्मूल्यांकन करें और ‘सतत विकास’ को नारे से आगे ले जाकर व्यवहारिक आदत बनाएँ। इसलिए 2025 में यह दिवस किसी साधारण सालाना औपचारिकता से कहीं बढ़कर है। यह हमारे समय का नैतिक कमांड है कि “अब नहीं तो कभी नहीं”।
इतिहास और उत्पत्ति: पहली बार कब मना? | When was World Nature Conservation Day celebrated for the first time?
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुरुआत 20वीं सदी के अंत में हुए पर्यावरण आंदोलन से हुई है। 1972 में स्टॉकहोम सम्मेलन ने दुनिया भर में प्रकृति की रक्षा को मुख्य मसला बना दिया, लेकिन एक अलग ‘अंतरराष्ट्रीय प्रकृति दिवस’ की सोच को मूर्त रूप पाने में कुछ दशक लगे। लेखकों, सक्रिय नागरिकों और स्कूल‑कॉलेजों ने मिलकर लंबे समय तक काम किया और 28 जुलाई 1998 को पहली बार इस दिन को जागरूकता कार्यक्रम के रूप में मनाया गया।
इसके बाद संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और कई गैर‑सरकारी संस्थाओं ने इसे हर साल मनाए जाने वाला स्थायी दिन बना दिया। आज यह दिवस न केवल स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाता है, बल्कि बड़ी कंपनियों की ESG रिपोर्टों में भी जगह पा चुका है, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रकृति की रक्षा अब विकल्प नहीं, हमारी ज़िम्मेदारी है।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस क्यों मनाया जाता है? संरक्षण का बहुआयामी महत्व |Why World Nature Conservation Day is celebrated?
यह दिवस मनाया जाता है क्योंकि प्रकृति को बचाना हमारे लिए कई तरह से बेहद ज़रूरी है। इतिहास ने इसकी नींव रखी, लेकिन आज की चुनौतियों ने इसे और भी अहम बना दिया है। हमारे आसपास प्रकृति में गड़बड़ी के कई संकेत दिख रहे हैं, जैसे जानवरों और पौधों की कम होती किस्में और हवा में घुलते प्लास्टिक के छोटे कण। प्रकृति का संरक्षण हमें प्राकृतिक संसाधनों को स्थायी रूप से उपयोग करने की क्षमता देता है।
यह पानी के स्रोतों को शुद्ध बनाए रखता है, जिससे पीने का पानी और सिंचाई सुनिश्चित होती है। यह मिट्टी की उर्वरता बचाता है, जिससे खेती लंबे समय तक संभव रहती है। यह खनिजों के अंधाधुंध दोहन को रोककर उन्हें भविष्य के लिए सुरक्षित रखता है।
साथ ही, यह ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों (जैसे सौर, पवन) को बढ़ावा देकर हमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद करता है। संक्षेप में, संरक्षण इन बहुमूल्य प्राकृतिक चीज़ों को न सिर्फ आज के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी बनाए रखता है।
दूसरा, यह दुनिया की सेहत के लिए भी ज़रूरी है क्योंकि जानवरों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियाँ (जैसे कोविड) 60% से ज़्यादा संक्रामक बीमारियों की वजह हैं; प्रकृति को बचाने से ऐसी बीमारियों का खतरा कम होता है। तीसरा, यह आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है क्योंकि पर्यावरण को ठीक करने पर खर्च किया गया हर एक रुपया, आगे चलकर लगभग चार गुना फायदा (समाज और अर्थव्यवस्था को मिलाकर) देता है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में स्वच्छ ऊर्जा, पानी और ज़मीन पर जीवन को बचाने जैसे मुद्दों को खास जगह दी गई है।
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का आधिकारिक थीम | Official theme of World Nature Conservation Day 2025
दक्षिण कोरिया की मेजबानी में 5 जून 2025 को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस का थीम “बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन” (Beat Plastic Pollution) है। यह थीम प्लास्टिक के पूर्ण जीवन-चक्र—उत्पादन, डिजाइन, उपभोग और निस्तारण—पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हर वर्ष 11 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में जाता है और माइक्रोप्लास्टिक अब मानव रक्त तक पहुँच चुका है।
दक्षिण कोरिया ने इस चुनौती से निपटने के लिए जेजू द्वीप को 2040 तक प्लास्टिक-मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इस अभियान का मूल मंत्र है: “इनकार करो, कम करो, पुनः उपयोग करो, रीसायकल करो” (Refuse-Reduce-Reuse-Recycle)। भारत सहित 150+ देश इस जंग में शामिल होकर एक बार प्रयोग होने वाले प्लास्टिक को समाप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
धरती के सामने पाँच बड़ी चुनौतियाँ | Five big challenges facing the Earth
- वन‑क्षरण: हर सैकेंड एक फुटबॉल मैदान के बराबर जंगल कट रहा है, जिसका सीधा असर वर्षा चक्र और कार्बन सिंक पर पड़ता है।
- प्रदूषण का जाल: वायु, जल और मृदा में माइक्रोप्लास्टिक व भारी धातुओं का स्तर मानवीय सीमा रेखा लाँघ चुका है, जिससे खाद्य श्रृंखला भी प्रदूषित हो रही है। National Today
- जलवायु आपातकाल: ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र स्तर बढ़ रहा है और चरम मौसम की घटनाएँ (हीट वेव, चक्रवात) मानव सुरक्षा को चुनौती दे रही हैं।
- अवैध वन्य जीव व्यापार: तस्करी के कारण जैव विविधता का नुकसान तेज़ हुआ है; बाज़ार में वन्य जीव अवयव की माँग बनावटी उपयोगों से बढ़ी है।
- ग्रीन फंडिंग की कमी: वैश्विक संरक्षण परियोजनाएँ निर्धारित निवेश का मात्र एक‑तिहाई ही जुटा पाती हैं। परिणामस्वरूप कई अच्छी योजनाएँ प्रारम्भिक चरण में ही अटक जाती हैं।
भारत का एजेंडा: Mission LiFE और अन्य पहलें
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में संरक्षण‑केंद्रित नीतियों को तेज रफ्तार दी है। Mission LiFE (Lifestyle for Environment) का लक्ष्य प्रत्येक भारतीय को इस विचार से जोड़ना है कि छोटे‑छोटे व्यवहारिक बदलाव सामूहिक रूप से “पर्यावरणीय जनांदोलन” में बदल सकते हैं। मिशन की परिकल्पना ‘यूज‑एंड‑डिस्पोज़’ अर्थव्यवस्था को ‘सर्कुलर इकॉनमी’ में रूपांतरित करने की है। NITI Aayog इसी दृष्टि से अमृत वन योजना के तहत 75 शहरों में शहरी वन विकसित हो रहे हैं। राज्यों ने ‘सिंगल‑यूज़ प्लास्टिक फ्री ज़ोन’ घोषित कर नागरिक‑सहभागिता को गति दी है, और छात्र केंद्रित Eco Clubs पर्यावरण शिक्षा को कक्षा किनारों से निकालकर सामुदायिक एक्शन की शक्ल दे रहे हैं।
निष्कर्ष: टिकाऊ भविष्य की ओर निर्णायक क़दम
जब अगली बार 28 जुलाई की सवेरे सूरज की पहली किरण खिड़की पर दस्तक दे, उसे सिर्फ कैलेंडर की एक तारीख या सोशल‑मीडिया‑हैशटैग न बनने दें। यह वह दिन है जब हम अपने भीतर रिस्टोरेशन (Restoration)(जो खो गया है उसे लौटाने), रेसिलिएंस (Resilience) (जो है उसे मज़बूत करने) और रिस्पॉन्सिबिलिटी (Responsibility) (भविष्य के लिए ज़िम्मेदारी निभाने) की लौ जलाते हैं।
पेड़ लगाना, प्लास्टिक छोड़ना या नीति परिवर्तन के लिए आवाज़ उठाना—कदम छोटा हो या बड़ा—हर संकेत दुनिया को बताता है कि हम अपने ग्रह के प्रति सचेत और सजग हैं। आइए 2025 को वह साल बनाएं जब World Nature Conservation Day विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हमारे सामूहिक व्यवहार में स्थायी बदलाव का प्रतीक बने, न कि एक दिवसीय अनुष्ठान।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है?
इसे हर वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है।
(World Nature Conservation Day) विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य क्या है?
इसका मुख्य लक्ष्य प्रकृति के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना, जैव विविधता की रक्षा करना और सतत संसाधन उपयोग को बढ़ावा देना है।
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुरुआत कब और कैसे हुई?
शुरुआत 1972 के स्टॉकहोम सम्मेलन के पर्यावरणीय विमर्श से प्रभावित होकर हुई और इसे पहली बार 28 जुलाई 1998 को जागरूकता कार्यक्रम के रूप में मनाया गया था।
2025 में थीम क्या है और इसका महत्व क्या है?
“बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन” (Beat Plastic Pollution) है। यह थीम प्लास्टिक के पूर्ण जीवन-चक्र—उत्पादन, डिजाइन, उपभोग और निस्तारण—पर केंद्रित है।
व्यक्तिगत स्तर पर संरक्षण में कैसे योगदान दे सकते हैं?
प्लास्टिक मुक्त विकल्प चुनकर, ऊर्जा‑सक्षम उपकरण इस्तेमाल करके, घर पर कम्पोस्ट बनाकर, और स्थानीय पर्यावरण समूहों से जुड़कर आप सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।